राम भक्तों के लिए ‘राम सेतु’ फिल्म नहीं उपहार है

फिल्म समीक्षा  

राम सेतु (Ram Setu Movie Review)

रामकिशोर पारचा

दो टूक : श्रीलंका जाने के लिए श्रीराम ने राम सेतु नाम के जिस पुल का इस्तेमाल किया क्या वो सचमुच उन्होने ही बनवाया था या फिर राम सेतु किसी प्राकृतिक आश्चर्य का नमूना है. सदियों से यह सवाल खड़ा रहा है और इसका जवाब तलाशते हुए आधुनिक युग में कुछ लोगों ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया. कहा जाता है कि इस पुल के रास्ते श्री राम, रावण से युद्ध करने और अपनी पत्नी सीता को बचाने श्रीलंका गए थे. यह भी एक पौराणिक तथ्य हो सकता है कि इसे श्रीराम ने ही विशेष शैल यानि समुद्री पानी पर तैरते हुए पत्थरों और चट्टानों से बनवाया था और इसके निर्माण में विश्वकर्मा के पुत्र नल द्वारा विकसित की गई तकनीक का विशेष रूप से इस्तेमाल किया गया था. महाभारत में भी राम के नल सेतु का जिक्र आया है. निर्देशक अभिषेक शर्मा की फिल्म राम सेतु भी इस पुल के होने और न होने के सच से जुड़े सवालों का जवाब देने की कोशिश करती है .

कहानी : फिल्म की कहानी 2007 में तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा राम सेतु को तोड़ने का निर्णय से जुड़ी है. आर्यन (अक्षय कुमार ) एक नास्तिक आर्कियोलॉजिस्ट है. अफ़ग़ानिस्तान में गौतम बुध के शिल्पों पर काम करते हुए उसे जो सफलता मिलती है उसके चलते उसे सरकार राम सेतु से जुड़े एक प्रोजेक्ट पर भी काम करने का निर्देश जारी करती है लेकिन इस निर्देश में बिना काम किए ही सरकार के तरीके से रिपोर्ट फ़ाइल करने को कहा जाता है. लेकिन आर्यन हार नहीं मानता और रामसेतु के सच को साबित करने के लिए अपने साथियों के साथ समुद्र में उतर जाता है. लेकिन यहाँ आकर उसे पता चलता है कि दरअसल ये खोज कम और एक षड्यंत्र ज्यादा है. फिल्म में रामसेतु के सच को सामने लाने की चुनौती की कहानी है राम सेतु.

गीत संगीत : ऐसी फिल्मों में गीत संगीत की बहुत गुंजाइश नहीं होती लेकिन फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बहुत प्रभावी है और उसमे शामिल श्रीराम, ॐ नमः शिवाय और तमसो मा ज्योतिर्गमय जैसी संरचना बहुत प्रभावशाली ढंग से आरोहित की गई है.

अभिनय : फिल्म में अक्षय केन्द्रीय भूमिका में है और सफ़ेद लंबे बाल और दाढ़ी के साथ उनका लुक भी उनके पात्र और चरित्र के हिसाब से बुना गया है लेकिन ऐसी भूमिकाएँ अब अक्षय बहुत आसानी से कर लेते हैं. इस फिल्म में भी अगर गौर से देखे तो उनके करने के लिए बहुत कुछ नहीं है लेकिन उनकी बॉडी लेंगवेज़ और अंत में अदालत में उनकी बहस के हिस्से प्रभावित करते हैं.  मैं हैरान हूँ कि अपने से आधी उम्र के साथ अक्षय की पत्नी की भूमिका में नुसरत भरुचा का काम फिल्म में बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन वो फ्रेश लगती है और चुलबुली भी. फिल्म में जैकलीन सैंड्रा नाम की वैज्ञानिक की भूमिका में है और अक्षय के साथ रामसेतु के रहस्यों की खोजबीन का हिस्सा हैं लेकिन उनके लिए भी करने को कुछ था ही नहीं. फिल्म की बड़ी उपलब्धि हैं तेलुगू सिनेमा के ए पी बने चर्चित अभिनेता सत्य देव कांचरना.  टूरिस्ट गाइड बने सत्य देव ही वो पात्र और चरित्र हैं जिनके सहारे फिल्म की कहानी ही नहीं बल्कि अक्षय का चरित्र भी हर शॉट में अपना नया विकास करता है. नासर फिल्म में बर्बाद कर दिये गए. नासर एक प्रतिभाशाली सीनियर अभिनेता हैं पर इस फिल्म में वो कुछ खास करिश्मा नहीं करते.  प्रवेश राणा लंबे समय बाद किसी फिल्म में दिखे हैं और वो अपने नेगेटिव पात्र में फिल्म के व्याकरण को विशेष गति देने का काम करते हैं और सबसे अच्छी बात टीवी से फिल्म में आई श्वेता कवात्रा को बहुत छोटी भूमिका दी गई लेकिन वकील की भूमिका में वो याद रह जाती हैं .

निर्देशन : फिल्म की कहानी और संवाद पर अभिषेक शर्मा और डॉक्टर चंद्र प्रकाश दिवेदी ने मिलकर काम किया है इसलिए फिल्म का खोज और विश्लेषण वाला हिस्सा प्रभावशाली है लेकिन फिल्म की गति शुरुआत में बहुत धीमी है और अपनी शुरुआत में बहुत जिज्ञासा नहीं जगाती पर जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है फिल्म रोचक हो जाती है. एक और बात जो रोचक लगती है इस फिल्म में वो है फिल्म का वह क्राफ्ट जिसे ‘स्टेबिल्शमेंट थ्रू द सिनेमा’ भी कह सकते है. इसलिए जो लोग श्री राम में आस्था रखते हैं और बरसों से चले आ रहे विवाद और सच को लेकर अगर हम इतिहास और पौराणिक काल के कुछ पन्ने पलटने के लिए तैयार हैं तो मुझे ये फिल्म उनके लिए अच्छी कोशिश लगी है. हालांकि निर्देशक ने तकनीकी तौर पर बहुत बेहतर फ्रेम नहीं दिये हैं और समुद्र में नायक के साथ बाकी पात्रों की खोजबीन वाले दृश्य कई जगह नाटकीय लगते हैं लेकिन उसके बावजूद फिल्म अपने विषय के साथ संस्कृति और इतिहास को केंद्र में रखकर जो सवाल उठाती है वो फिल्म को देखने लायक बनाते हैं. ये अलग बात है कि कई जगह फिल्म डॉक्युमेंट्री का एहसास भी देती है लेकिन फिर जल्दी ही निर्देशक अपने लेखक के साथ उसे इस गुंजल से बाहर ले आते हैं और वो एक रोचक और थ्रिल फिल्म में तब्दील हो जाती है.

फिल्म से जुड़े कुछ रोचक तथ्य: धर्मग्रंथों के अनुसार, त्रेतायुग में समुद्र पर भारत और लंका के बीच एक विशाल सेतु (पुल) बनाया गया था. कहा जाता है कि वह 100 योजन लंबा और 10 योजन चौड़ा था. आज की गणना के हिसाब से उस पुल की लंबाई 1200 किलोमीटर थी. श्रीराम की सेना ने उसे 5 दिन में तैयार कर दिया था. 2007 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि राम सेतु एक प्राकृतिक गठन से ज्यादा कुछ नहीं था. भारत सरकार ने एएसआई के समर्थन से सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया था कि भगवान राम द्वारा बनाई गई संरचना का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है और इसे तोड़कर इसके रास्ते को नए सिरे से बनाने के लिए पहल भी की लेकिन कुछ कारणों से ऐसा नहीं हुआ. यही वह पुल भी है जिसे एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है.

फिल्म क्यों देखें : जो लोग श्री राम में आस्था रखते हैं उनके लिए ये एक अद्भुत फिल्म है.

फिल्म क्यों न देखें : जब फिल्म बनी ही आस्था को लेकर है तो एक बार तो ज़रूर देखिये.

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DELHI INTERNATIONAL FILM FESTIVAL (DIFF) BRINGING COUNTRIES AND CINEMA CLOSER… 9TH DELHI INTERNATIONAL FILM FESTIVAL-2021 is being organized from 24TH TO 30TH JULY 2021, at AMBEDKAR INTERNATIONAL CENTER, JANPATH, NEW DELHI, as a Seven day event, in association with GOVT. OF NAGALAND, NDMC, INFORMATION & BROADCASTING MINISTRY and GOVERNMENT OF DELHI. THE CULTURE AND TOURISM MINISTRIES, FILM BANDHU, UTTAR PRADESH are our Associate Partners. The festival is approved by the INFORMATION & BROADCASTING MINISTRY and works as a composite body to promote INDIAN CINEMA, CULTURE AND TOURISM in INDIA and ABROAD. DIFF has now grown into a global platform joining hands to collaborate with a multitude of film festivals in many countries or offering support to a host of upcoming festivals across the world. DIFF aims at understanding the science, art and emotion behind cinema, reaching it out to the audiences far and wide and promoting Indian Cinema, Art and Culture. The Festival offers premier showcase opportunity for talented film makers and artists, celebrates AVANTE GARDE CINEMA, felicitates masters and achievers from all walks of life and brings countries closer by building bridges to enable cross cultural exchanges, social understanding and creative idealization. 8TH DELHI INTERNATIONAL FILM FESTIVAL, 2020 will be held from the 25th to 30th JULY 2020 at the AMBEDKAR INTERNATIONAL CENTER, NEW DELHI. 8th DIFF 2020 is going to showcase 197 films from more than 56 countries and about 100 works of art displayed at the Art Show. Film Personalities, Artists, Diplomats, Political dignitaries and audiences close to 5000, will witness the spectacular Opening Ceremony, Closing & Awards Event and savor the vast variety of films screened during the festival. With the focus on African Cinema , DIFF will screen some very interesting films. Information & Broadcasting Ministry and NDMC offered invaluable support and association for this edition of DIFF as in the earlier editions. Jharkhand, Assam, UP-Film Bandhu, Uttrakhand became the State and Tourism Partner and ARGENTINA AND SENEGAL are the Country Partners this year.

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